8TH SEMESTER ! भाग-10 ( Esha...)
"आइईई ....."बस इतना ही बोल पाया मैं एश को देखकर , और आवाज़ भी इतनी धीमी थी कि मेरे साथ खड़े मेरे क्लास वाले भी उस आवाज़ का ना सुन पाए....
मैं पहले भी हैरान हुआ करता था और अब भी हैरान हुआ करता हूँ, कि अरुण कैसे जान जाता है कि दूसरे क्या सोच रहे है....
"मतलब...."ज़मीन पर औधा लेटा वरुण सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुए मुझसे पुछा...
"मतलब की.."मैने अरुण की तरफ देखा, साला दारू की बोतल लिए बाथरूम से बाहर आ रहा था"अरुण की एक ख़ासियत है, वो किसी का भी शकल देखकर ये बता देता है कि उसके अंदर क्या चल रहा है ,वो बंदा किस सोच मे डूबा हुआ है...."
"ऐश की एंट्री हो गई क्या...?"अरुण ने मेरे चेहरे के भाव देख पूछा
"हाँ बे,.."
"फिर तो..."ये बोलते हुए वरुण ज़मीन पर बैठ गया और अरुण की तरफ देखा...."ये साला बाथरूम मे बोतल लेकर क्यूँ गया था ?"
"अपनी आदत है..."मेरे पास बैठते हुए वरुण की तरफ देखकर अरुण ने जवाब दिया...
"बड़ी अजीब आदत है बे, अच्छा हुआ खाने की प्लेट लेकर बाथरूम जाने की आदत नही है ,वरना एक तरफ से मेटीरियल बाहर निकलता तो दूसरी तरफ से अंदर जाता...."वरुण ज़ोर-ज़ोर से ठहाके लगाने लगा और मुझसे बोला"तू क्यूँ रुक गया बे, आगे बता क्या हुआ...."
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उस दिन लंच मे जब मैने धीमी आवाज़ मे "आइ"बोला था , तब अरुण मेरे बगल मे ही खड़ा था, और जब एश हमारी आँखो के सामने से गुज़री तो वहाँ एक अरुण ही ऐसा लड़का था जो एश की जगह मुझे देख रहा था और मेरे चेहरे के बदलते रंग को देखकर वो समझ गया था कि मेरे अंदर अभी क्या चल रहा है......
"चल आजा..."मेरा हाथ पकड़ कर अरुण बोला...
"अबे कहाँ आजा..."
"चल एश से तेरी बात कराता हूँ..."
ये सुनते ही मैने तुरंत उसका हाथ दूर किया और बोला"तुझे ऐसा क्यूँ लगा कि मैं एश से बात करना चाहता हूँ ?"
"अब बेटा हम को गिनती गिनना ना ही सिख़ाओ...जब से तूने उसे देखा है, तेरे फेस पर लाली छाइ हुई है..."
"अबे हट....ऐसी दर्जनो लड़कियो को मैं रोज देखता हूँ, तो इसका मतलब ये तो नही कि मैं उससे बात करू...."
"अभी उन दर्जनो लड़कियो को छोड़ और बाई तरफ देख..."
दूसरी तरफ से एश अपनी जुल्फे लहराती हुए आ रही थी, उस वक़्त दिल मे अरमान उठे कि काश एश सीधे मेरे पास आए और मुझे बोले कि "hey handsome... What is your name... Can i get your mobile number please...."
मतलब दिल मे अरमान जागे कि वो मुझे देखे और मुझे देखते ही उसे मुझसे प्यार हो जाए, वो करीब आती गयी और मेरे मुँह से "आइ......"वर्ड एक बार फिर बाहर आया, लेकिन जब वो अपने क्लास की तरफ घूमी तो ये "आइ...."वर्ड वापस अंदर चला गया....
"दिल तोड़ दिया उसने उस तरफ घूमकर..."अपने सीने मे हाथ रखकर सहलाते हुए मज़किया अंदाज़ मे मैं बोला...."यार, अरुण कुछ जुगाड़ करना....उसे एक बार सही से देखना चाहता हूँ...."
"चल आजा फिर..."अरुण ने एक बार फिर मेरा हाथ पकड़ा...
"अबे कुत्ते हाथ छोड़, छोटा बच्चा हूँ क्या, जो बात-बात पर हाथ पकड़ लेता है..."
"प्यार है पगले..."
"इस प्यार को थोड़ा कम ही रहने दियो "
CS ब्रांच मे अरुण का एक दोस्त था,जिसके पास जाकर मैं और अरुण बैठ गये....जहा अरुण अपने दोस्त से बात करने लगा वही मैं चुपके से एश को ताकने लगा....
ऐसा नही था कि मैने एश से पहले कोई खूबसूरत लड़की नही देखी थी, लेकिन जो कशिश उसमे थी वो आज तक मुझे किसी भी लड़की मे महसूस नही हुई थी, उस वक़्त हम दोनो किसी चुम्बक के उत्तरी - दक्षिणी ध्रुव की तरह थे, जो हमेशा एक दूसरे को आकर्षित करते है.....इसी बीच फर्स्ट टाइम उसने मुझे देखा लेकिन मेरी नज़रे एका-एक दूसरी तरफ हो गयी, दिल की धड़कनो ने एक बार फिर बुलेट ट्रेन की स्पीड पकड़ ली थी .....
"क्या हुआ बे..."मुझे दूसरी तरफ देखते हुए देखकर अरुण ने पुछा...
"कुछ नही, बस उसने मुझे देख लिया...."
"तो, यही तो मौका था , आँख मार देता उसे उसी वक़्त..."
"फटती है मेरी इन सब कामो से..."
"तब तो वो सेट हो चुकी तेरे से...."अरुण ने एश की तरफ देखा...
"अबे अरमान, एश तुझे ही देख रही है...."
"क्या...."दिल एक बार फिर तेज़ी से धड़का...और मैने एश की तरफ देखा, अरुण सच बोल रहा था वो मेरे तरफ ही देख रही थी...उस वक़्त मुझे ऐसा लगा जैसे की वक़्त ही ठहर गया हो, उस वक़्त मुझे ऐसा लगा कि वहाँ उस क्लास रूम मे मेरे और उसके सिवा कोई नही है....
"Two pair of eyes are intersecting each other "अरुण बोला और बोलने के तुरंत बाद मेरे कंधे को पकड़ कर ज़ोर से हिलाया"लंच ख़तम हुआ प्यारे, अब अपनी क्लास की तरफ चले या इस बार भी यही इरादा है कि नेक्स्ट पीरियड का टीचर तुझे बाहर निकाल दे...."
"लंच ख़तम हो गया...? "
"बिल्कुल और तू पिछले 20 मिनट. से उसको घूरे जा रहा है बिना पलके झपकाए...."
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अरुण और मैं... एश की क्लास से बाहर आए, क्लास तो लग चुकी थी लेकिन टीचर अभी तक लापता था.....अपनी सीट पर बैठकर मैं कुछ देर पहले जो कुछ भी हुआ, उसको याद करने लगा और हाथो मे पेन पकड़ कर डेस्क पर उसका नाम लिखने लगा.....
"एश....."इस नाम को सामने वाली डेस्क पर पेन से लिखने के बाद उस नाम के ऊपर मै अपने हाथ फिरा रहा था, मानो ये उसका नाम ना हो, बल्कि उसका गाल हो...
वो नाम मैने नॉर्मल पेन से लिखा था, उस नॉर्मल पेन के नॉर्मल स्याही से लिखा था, लेकिन जो 4 अक्षर वहाँ उभरे थे, वो मेरे लिए नॉर्मल नही था,...उन चार अक्षरो से एक लगाव सा हो गया था....लेकिन उस वक़्त मैं ये भूल गया था कि मेरे बगल मे मेरा सबसे कमीना खास दोस्त अरुण बैठा है, जो मुझे एक पल के लिए भी चैन से साँस लेने नही देगा....मेरी इस हरकत पर वो मुझपर चिल्लाया...
"अबे ये क्या कर रहा है..."
उसके इस तरह से अचानक बोलने से मेरा ध्यान टूटा और जिन 4 अक्षरो से मुझे लगाव था ,उन्हे मैं तुरंत मिटाने की कोशिश करने लगा....लेकिन स्याही सूख चुकी थी, इसलिए नाम मिटना थोड़ा मुश्किल था, ठीक उसी तरह जैसे उसे मेरे दिल से मिटाना मुश्किल था.
"हाथ हटा..."
"नही..."मैने एश के नाम के आगे ऐसे हाथ रख कर खड़ा था जैसे की मेरी हाथ हटाते ही मेरी इज़्ज़त लूटने वाली हो....
"देख अरमान, मुझे दिखा दे कि क्या लिखा है डेस्क पर तूने, वरना पूरी क्लास को बता दूँगा...."
"तेरी तो"क्या करता, मजबूरी मे हाथ हटाना ही पड़ा...
"तेरी राइटिंग तो सॉलिड है..."ये बोलकर अरुण पीछे मुड़ा तो मैने वापस एश के नाम को अपने हाथो से ढक लिया...
"बोतल है..."अरुण पीछे बैठे किसी लड़के से बोला...
"पानी की बोतल...?"पीछे वाले ने पूछा
"नही दारू की बोतल....अबे क्लास मे हूँ तो पानी की बोतल ही माँगूंगा ना...."
"तो सीधे से बोल ना...."अरुण ने जिससे पानी का बोतल माँगा था वो बोला...
"अबे घोंचू... ऐसे मे क्या खाक इंजीनियर बनेगा, साले ने बारहवी पक्का ओपन से पास किया होगा...अब ला दे बोतल"उसके हाथ से बोतल लेकर अरुण ने पानी की कुछ बूंदे डेस्क पर डाली और एश का नाम मिटाकर मुझसे बोला...
"ये आशिक़ी का जो भूत सवार है ना, उसको संभाल कर रख वरना लेने के देने पड़ जाएँगे...."
"साले तू मुझे बत्ती दे रहा है..."
"यही तो प्यार है पगले"
हफ्ते मे 3 दिन हमारा लैब रहता था, और हर एक लैब दो-दो पीरियड्स के बराबर था, हम सभी अपने बाकी के काम लैब क्लास मे ही निपटाते थे, शुरू के आधे घंटे मे लैब वाले सर आकर हमे एक्सपेरिमेंट और एक्विपमेंट्स को कैसे उपयोग करना है, ये बता कर अपनी सीट पर विराजमान हो जाते और उसके बाद का पूरा समय हम sms भेजने मे, असाइनमेंट कंप्लीट करने मे यूज़ करते थे, हमारे कॉलेज के टीचर्स की एक बहुत ही खराब आदत ये थी कि वो छोटी सी छोटी बात पर या तो अटेंडेन्स कट कर देते थे, या फिर सीधे क्लास से बाहर ही भगा देते थे...उस दिन फिज़िक्स का लैब था और लैब मे मैं cs का असाइनमेंट कर रहा था और इस काम मे अरुण भी बखूबी मेरा साथ दे रहा था कि तभी हमारे physics वाले कुर्रे सर की आवाज़ पूरे लैब मे गूँजी....
"जो स्टूडेंट रीडिंग और फाइनल रिज़ल्ट दिखाएगा , मैं उसी को आज का अटेंडेन्स दूँगा...."
"लग गयी तब तो...."एक दर्द भरी गुस्से से भरपूर आवाज़ मे अरुण धीमे से बोला....
"अब क्या करे..."
"मालूम नही..."
तभी मुझे अपने स्कूल के दिनो की याद आ गयी, जब मैं लैब से अक्सर पास आउट हो चुके स्टूडेंट्स की कॉपी मारकर छाप दिया करता था.....
"हम दोनो को प्रैक्टिकल का मनुअल नही मिला है ना...?"मैने अरुण से पुछा....हम दोनो का रोल नंबर. आगे पीछे था, इसलिए एक्सपेरिमेंट भी सेम था....
"कुर्रे दे रहा था, लेकिन मैने लिया ही नही....और वैसे भी इसको रीडिंग दिखानी है...."
"तू रुक... मैं जुगाड़ जमा के आता हूँ..."
ये काम मैं पहले भी बहुत बार स्कूल मे कर चुका था, इसलिए डर तो नही लग रहा था लेकिन फिर थोड़ी सी घबराहट हो रही थी....
"सर, हमारे पास मैन्युअल नही है..."लैब वाले सर के पास खड़े होकर मैं मासूमियत से बोला...
उसके बाद कुर्रे ने बहुत माथापच्ची की, हमारा रोल नंबर. पूछा, और उसके बाद साले ने एक्सपेरिमेंट्स के बारे मे मुझसे पुछा....उस वक़्त तो साला एक्सपेरिमेंट का ऑब्जेक्ट क्या है मुझे ये तक नही मालूम था तो फिर बाकी उसका सिद्धांत वगैरह कैसे बताता...... एक तरफ मुझे ये नही मालूम था की आज के इक्विपमेंट्स कौन कौन से है और कुर्रे सर मुझसे ये पूछ रहे थे की इन्हे उपयोग कैसे करेंगे..😜
"सर, यदि कोई पुरानी कॉपी मिल जाती तो थोड़ा आइडिया मिल जाता...."अपना रामबान मैने फैंका...
जहाँ कुर्रे बैठा हुआ था, वहाँ से बाई तरफ थोड़ा अंदर एक छोटा सा रूम था...उसने पहले 5 मिनट. तक मेरी शकल देखी और फिर मुझे अंदर जाने के लिए बोला....
"वो अंदर बैठी हुई है, उनसे माँग लो...."
"थॅंक यू सर...."
आधा काम तो निपटा लिया था, बस आधा काम और बाकी था, पहले मैने सोचा कि अंदर जिस रूम मे मैं जा रहा था वहाँ कोई कुर्रे की उम्र की ही टीचर होगी , यानी की 40 से 45 उम्र की , लेकिन जैसे ही मैं अंदर घुसा आँखे बाहर आ गयी ये देखकर की अंदर दीपिका मैम बैठी हुई है......
"मैम , वो पुरानी प्रैक्टिकल कॉपी चाहिए थी...."उस रूम के चारो तरफ देखते हुए मैं बोला....
"सर से पुछा है...?"वो टेबल पर ऐसे बैठी थी, जैसे कि वो इस कॉलेज की प्रिन्सिपल हो....
"जी मैम , उन्होने ही कहा है कि मैं अंदर जाकर अपना काम कर सकता हूँ... यदि आपको कोई ऐतराज़ ना हो तो मेरे करने से..."मैने जान बुझ कर ऐसा कहा.... साथ मे मुस्कुराया भी. पर मुझे नही पता था की मेरी उस वक़्त की मुस्कान भविष्य मे मेरे लिए बेहद ही दर्दनाक साबित होने वाली थी...
"कैसा काम...? कैसा भी काम हो.. कर लो... शरीर तुम्हारा, मेहनत तुम्हारी, समय तुम्हारा, भविष्य तुम्हारा ."चेयर पर सीधी होते हुए उसने मेरी तरफ निगाह डाली....
"वही वाला काम, मैम ... जिसमे ज्यादा समय नही लगता "एक ओर रखी हुई फाइल्स के भंडार की तरफ इशारा करते हुए मैं बोला, फ्लर्टिंग करना मेरे लिए कोई नयी बात नही थी, मैं अक्सर मौका मिलने पर ये सब काम कर दिया करता था पर अफ़सोस की आज तक किसी लड़की ने मेरे अरमानो को पकड़ा नही किया था......
"मकेनिकल फर्स्ट ईयर.... राइट....?"
मैने हां मे सर हिलाया तो दीपिका मैम ने एक तरफ इशारा कर दिया...जहाँ पिछले वर्ष के छात्रों की प्रैक्टिकल्स फाइल्स जमा की हुई थी, मैं वहाँ पहुचा एक दो कॉपी को खोलकर पढ़ने का नाटक करने लगा, लेकिन इस बीच मेरा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ दीपिका मैम पर था कि वो मुझे देख तो नही रही है....दीपिका मैम इस समय अपने मोबाइल मे बिज़ी थी, और यही मेरे लिए सही मौका था...मैने चुपके से एक प्रैक्टिकल कॉपी को अपने शर्ट के नीचे पेट के पास फँसा लिया और उसके कुछ देर बाद तक मैं वही खड़ा रहा....
"ठीक है मैम , मैं चलता हूँ...."
मुझे पूरी उम्मीद थी कि दीपिका मैम ने मुझे नही देखा था और मैं अपनी होशियारी पर खुद की तारीफ करता हुआ वहाँ से जा ही रहा था कि दीपिका मैम ने पीछे से आवाज़ दी...
"रूको..."
"जी मैम ..."दिल मे घबराहट एक बार फिर पैदा हो गयी....
"You think all the college staff are bunch of fools...? .."
"मतलब...?"
"मतलब ये कि..."वो अपनी चेयर से उठकर मेरे पास आई और सीधा मेरे पेट पर हाथ फिराती हुई बोली"ये तुम्हारे सिक्स पॅक्स इतने टाइट है या लैब की कॉपी चुरा कर ले जा रहे हो...."
इसके आगे बोलने की मेरी हिम्मत नही हुई,मैं किसी अपराधी की तरह वहाँ खड़ा दीपिका मैम के अगले आदेश का इंतज़ार कर रहा था.... वो मुझे थप्पड़ भी मार सकती थी, या फिर बाहर विश्राम कर रहे physics के कुर्रे सर से मेरी शिकायत भी कर सकती थी....
"तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं कि मैं यही से पास आउट हूँ और मुझे मालूम है ये फंडे...इसलिए मेरे सामने होशियार बनने की कोशिश मत करना..."ऐसा बोलते हुए उसने प्रैक्टिकल कॉपी एक झटके मे निकाल ली... और बोली
"तुम्हारे जाने के बाद कुर्रे सर यहा आएँगे और वो मुझसे पूछेंगे कि मैने कहीं कुछ उठा तो नही लिया, और फिर जब तुम बाहर जाओगे तो तुम्हारी चेकिंग भी होगी... समझें.. और यदि लैब के किसी भी चीज के साथ पकडे गए तो.. सीधे कम्प्लेन होगी तुम्हारे नाम से... सोच लो...?."
" सालो ने कोहिनूर हीरा छुपा रखा है क्या यहाँ... जो इतनी चेकिंग करते है "
"तुमने कुछ बोला..."
"सॉरी मैम ,... ये बोला "
"अब जाओ..."
इसके बाद...उसके अगले पल ही दीपिका मैम ने वो हरकत की जिसके कारण मेरा दिल लेफ्ट साइड से राइट साइड मे शिफ्ट होने वाला था, 1000 वोल्ट्स का झटका दिया दीपिका मैम ने मुझे....उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और सीधे अपने कमर के नीचे टच करा दिया और बोली
"पसंद आया हो तो दोबारा बताना....."
To Be Continued........
Kaushalya Rani
25-Nov-2021 09:07 PM
Wow nicepart
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Barsha🖤👑
25-Nov-2021 03:07 PM
बहुत बढ़िया लिखते हैं सर आप
Reply
Fiza Tanvi
27-Aug-2021 12:15 PM
Badiya
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